राजा इन्द्र एक बार अपने राज्य का भ्रमण कर रहे थे, तभी अचानक उन्हे रास्ते मे एक चमकदार वस्तु मिली राजा ने उसे अनोखा दिव्य समझकर उठाया।
राजा वापिस अपने महल आ गए ,राजा ने अगले दिन दरबार https://t.co/8Qgg7oQd6w?amp=1लगाया, और उस दिव्य वस्तु के बारे मे जानकारी जुटाने की कोशिश की उस समय राज्य मे उस प्रकार की वस्तु किसी के पास नहीं थी इसलिए सभी ने राजा से कहा की महाराज यह वस्तु कोई दिव्य वस्तु प्रतीत होती है तभी दरबार मे बैठे एक विद्वान व्यक्ति ने सलाह दी महाराज आप को अनोखी वस्तु मिली है इसका कोई बड़ा अस्तित्व होगा। अतः आप इसे अपने कक्ष के पूर्व दिशा की ओर रख दीजिये। राजा ने ऐसा ही किया उसने पूर्व दिशा की ओर अपनी इस वस्तु को रख दिया। राजा को सुबह उठकर सबसे पहले पूर्व दिशा को देखने की आदत दी, वे पूर्व दिशा में सूर्यदेव को नमन करते थे, इसलिए उनकी नजर उस दिव्य वस्तु पर रोज पड़ने लगी और वे उसे रोज देखने लगे। उसमे तीन सुई बनी थी राजा को कुछ समझ नहीं आ रहा था फिर भी राजा उसे हमेशा ही देखता एक दिन राजा ने उसमे यह जाना की यह पहर के
हिसाब से घूमती है। फिर से राजा को कुछ संदेह हुआ उसने अगले दिन फिर दरबार शुरू किया और अपने मन की जिज्ञासा को जल्दी से प्रगट किया और बोले पता नहीं यह चारों दिशाओं की ओर चलती है। राजा का दरबार लगा था उसी समय एक महाजन उठे और वस्तु की निहारने लगे ओर उन्होने अपनी गणित बैठाई और फिर पता लगाया की ये तो निश्चित ही घड़ी है ओर महाराज को बताया महाराज ये घड़ी है कलयुग मे लोग इसका बखूबी इस्तेमाल करते हैं। इस प्रकार इंद्र महाराज को घड़ी के घूमने ओर पहर के हिसाब से चलने का पूरा सिद्धांत समझ आया ओर राजा ने सभी विद्वानों को धन्यवाद किया ओर कहा कल से हम सभी इस घड़ी के समय के हिसाब से ही चलेगे क्योकि समय को कोई रोक नहीं सकता। इस प्रकार राजा इन्द्र की दिव्य वस्तु घड़ी बन गयी और सभी ने इस घड़ी के हिसाब से काम करने का निश्चय किया और घड़ी की कहानी समाप्त हुई। -Indra Kumar Lodhi Pawai Panna wale...
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